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WBBSE Life Science Chapter- 2 Continuity of Life Notes

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Examination : MADHYAMIK / SECONDARY (Class X)
Subject : Life Science
Chapter : Continuity of Life | (जीवन की निरंतरता)
Language : Hindi

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WB MADHYAMIK LIFE SCIENCE Chapter-2 Notes 

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Madhyamik Life Science Chapter – 2 Notes

2. A कोशिका चक्र तथा कोशिका विभाजन (Cell Cycle and Cell Division)

क्रोमोज़ोम या गुणसूत्र (Chromosome) :- केन्द्रक के अन्दर पायी जानेवाली वह संरचना जिसका निर्माण दो क्रोमैटिड्स द्वारा होता है तथा जो अपने ऊपर आनुवांशिक लक्षणों को धारण करते हैं, उन्हें क्रोमोज़ोम कहते हैं। प्रत्येक जाति के केन्द्रक में इसकी संख्या निश्चित होती है।जैसे:- मनुष्य में क्रोमोजोम की संख्या 23 जोड़ा, आलू में 24 जोड़ा तथा मटर में 7 जोड़ा आदि।

क्रोमोज़ोम की संरचना(Structure of Chromosome):-

क्रोमोजोम निम्नलिखित रचनाओं से मिलकर बना होता है:-

(i) क्रोमैटिड्स (Chromatids):- क्रोमोजोम जिन दो तंतुओं से मिलकर बना होता है उसे क्रोमैटिड्स कहते है।

(ii) क्रोमोनिमा (Chromonema):- प्रत्येक क्रोमैटिड कुंडलित तंतुओं से बना होता है, उसे क्रोमोनिमा कहते है।

(iii) क्रोमोमियर (Chromomere):- क्रोमोनिमा के ऊपर गहरे रंग की कणिकाएँ पाई जाती है जिन्हें क्रोमोमियर कहते है।

(iv) प्राथमिक संकुचन (Primary constriction):- क्रोमोजोम की भुजाएँ जिस स्थान पर एक दूसरे से सेंट्रोमियर द्वारा जुड़ी होती है उसे प्राथमिक संकुचन कहते हैं ।

(v) द्वितीयक संकुचन (Secondary Constriction):- प्राथमिक संकुचन के आलावा एक और संकुचन पाया जाता है जो न्युक्लिओलस (Nucleolus) के पुनःसंगठन से सम्बंधित है उसे द्वितीयक संकुचन कहते है।

(vi) टेलोमियर (Telomere):- क्रोमोजोम के अंतिम सिरे को टेलोमियर कहते है।

(vii) सैटेलाईट (Satellite):- क्रोमोजोम के एक सिरे पर एक गोलाकार रचना पाई जाती है जिसे सैटेलाईट कहते है।

क्रोमैटिड्स:- क्रोमोजोम जिन दो तुंतुओ से मिलकर बना होता है, उसे क्रोमैटिड्स कहते है।

सेन्ट्रोमियर:- क्रोमोजोम की भुजाए अर्थात क्रोमैटिडस जिस स्थान पर एक दूसरे से जुड़े होते है, उसे सेन्ट्रोमियर कहते हैं।

  • सेंट्रोमीयर की उपस्थिती के आधार पर क्रोमोजोम निम्न प्रकार के होते हैं:-

1. एसेंट्रिक क्रोमोजोम :- जिस क्रोमोजोम में सेंट्रोमीयर नहीं पाया जाता है, उसे एसेंट्रिक क्र्मोजोम कहते हैं।

2. मेटासेंट्रिक क्रोमोजोम:- जिस कोमोजोम का सेंट्रोमीयर क्रोमोजोम के मध्य में पाया जाता है, उसे मेटासेंट्रिक क्रोमोजोम कहते हैं।

3. सब-मेटासेंट्रिक क्रोमोजोम:-  जिस कोमोजोम का सेंट्रोमीयर क्रोमोजोम के मध्य से थोड़ी दूर पाया जाता है, उसे सब-मेटासेंट्रिक क्रोमोजोम कहते हैं।

4. एक्रोसेंट्रिक क्रोमोजोम:- जिस कोमोजोम का सेंट्रोमीयर क्रोमोजोम के सिरे के कुछ अंदर की ओर पाया जाता है, उसे एक्रोसेंट्रिक क्रोमोजोम कहते हैं।

5. टेलोसेंट्रिक क्रोमोजोम:- जिस कोमोजोम का सेंट्रोमीयर क्रोमोजोम के सिरे पर पाया जाता है, उसे मेटासेंट्रिक क्रोमोजोम कहते हैं।

क्रोमोजोम का गठन (Composition of Chromosome) :- क्रोमोजोम का गठन मुख्यतः न्यूक्लिक अम्ल और प्रोटीन से होता है। इसमे DNA 45% , RNA 5% और शेष प्रोटीन होता है। DNA प्यूरीन (एडेनिन तथा गुआनीन) तथा पाइरिमिडीन (साइटोसिन तथा थायमीन) नामक दो नाइट्रोजन युक भस्मों, पेन्टोज सुगर तथा फास्फोरिक अम्ल से गठित होता है। RNA रईबोज सुगर, फॉस्फेट, तथा नाइट्रोजन युक्त भस्मों (एडेनिन, गुआनीन, साइटोसिन तथा यूरासिल) से मिल कर गठित होता है।

जीन (Gene) :- क्रोमोजोम के ऊपर पाई जाने वाली आनुवांशिक इकाई को जीन कहते हैं । यह आनुवांशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में ले जाने का कार्य करता है।

क्रोमोजोम, डीएनए तथा जीन के अन्तः संबंध:- कोशिका के केन्द्रक में पतले धागे जैसी रचनाए पाई जाती है, इन्हे क्रोमैटीन कहते हैं। क्रोमैटीन धागे वास्तव में DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन द्वारा बने होते हैं। इन क्रोमैटीन धागो के कुंडलित एवं सघन रूप को क्रोमोजोम कहते हैं। क्रोमोजोम के ऊपर दानेदार रचनाए पाई जाती है जिन्हे जीन कहते हैं। ये जीन माता-पिता के लक्षणों को उनकी संतानों में ले जाने का कार्य करती हैं।

लिंग क्रोमोजोम (Sex Chromosome) :- जिस क्रोमोसोम के द्वारा लिंग निर्धारण होता है, उसे लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosome) कहते हैं । मनुष्य में इसकी संख्या एक जोड़ी है।

आटोसोम (Autosome) :- लिंग क्रोमोजोम को छोड़ कर अन्य शारीरिक कोशिकाओं (Somatic cells) में पाए जाए वाले गुणसूत्र को आटोसोम कहते हैं । मनुष्य में इसकी संख्या 22 जोड़ी है।

एक सामान्य पुरुष का गुणसूत्र – 44A + XY

एक सामान्य स्त्री का गुणसूत्र – 44A + XX

कोशिका विभाजन (Cell Division)

कोशिका विभाजन (Cell Division) :- वह विधि जिससे मातृ कोशिका से पुत्री कोशिका का निर्माण होता है, उसे कोशिका विभाजन कहते है।

तंत्रिका कोशिका जैसे जंतु कोशिका में विभाजन नहीं होता है।

कोशिका विभाजन  की विधि दो चरणों में पूरी होती है।

(i) केन्द्रक विभाजन या कैरियोकाइनेसिस (Karyokinesis):- कोशिका के केन्द्रक के विभाजित होने की क्रिया को कैरियोकाइनेसिस कहते हैं। इस अवस्था में मातृ कोशिका का केंद्रक दो बराबर भागों में बंट जाता है।

(ii) कोशिकाद्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis):- कोशिका द्रव्य के विभाजन की विधि को साइटोकाइनेसिस कहते है। इस क्रिया के फलस्वरूप कोशिका दो भागों में बंट जाति है।

पौधों में साइटोकाइनेसिस की विधि (Cytokinesis in plants):- पादप कोशिका में साइटोकाइनेसिस की विधि दो पुत्री केन्द्रकों के मध्य कोशिका प्लेट (Cell Plate) के निर्माण द्वारा पूरी होती है। कोशिका प्लेट की लम्बाई बढ़ कर दोनों तरफ के कोशिका भित्ति को स्पर्श करने लगता है। सेल प्लेट के दोनों ओर सेल्यूलोज का आवरण जमा होने लगता है जिससे नई कोशिका भित्ति का निर्माण होता है। इस प्रकार एक मातृ कोशिका से नई कोशिका भित्ति युक्त दो पुत्री कोशिकाएं बनती हैं ।

जंतुओं में साइटोकाइनेसिस की विधि (Cytokinesis in animal cell ):- जंतु कोशिका में साइटोकाइनेसिस कि क्रिया केन्द्रक विभाजन के साथ ही चलती रहती है। एनाफेज के दौरान कोशिका के मध्य संकुचन उत्पन्न होता है। यह संकुचन धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। स्पिन्डल तंतु (Spindle Fibre) टूट जाते हैं और मध्य का संकुचित भाग आपस में मिल जाता है। इस प्रकार कोशिका द्रव (Cytoplasm) दो भागों में बंट जाता है और एक मातृ कोशिका से दो पुत्री कोशिकाओं का जन्म होता है।

Ø  कोशिका विभाजन तीन प्रकार का होता है।

(A) असुत्री विभाजन (Amitosis or Direct Division)

            कोशिका विभाजन की वह विधि जिसमे मातृ कोशिका का केन्द्रक सीधे रूप से दो भागों में विभाजित हो कर दो पुत्री कोशिकाओं का निर्माण करता है, उसे असुत्री विभाजन कहते हैं ।

       इस प्रकार का विभाजन निम्न श्रेणी के पौधे एवं जीवों, जैसे- प्रोटोजोआ, एल्गी, फंगी, यीस्ट, बैक्टेरिया, अमीबा आदि में होता है।

असुत्री विभाजन का महत्व (Importance of Amitosis):-

(i) यह निम्न वर्ग के जंतुओं एवं पौधों में प्रजनन की विधि है।

(ii) यह उच्च वर्ग के जीवों में कुछ विशेष कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने की विधि है।

(B) समसूत्री या माइटोसिस विभाजन (Mitosis division)

            कोशिका विभाजन की वह विधि जिसमे एक मातृ कोशिका से दो पुत्री कोशिकाओं का जन्म होता है जिनमें क्रोमोजोम की संख्या मातृ कोशिका के समान होती है, उसे समसूत्री या समरूप कोशिका विभाजन कहते है।

Mitosis पौधों के सभी वर्धि भागों- जड़, तना, पत्ति, फूलों , कलिकाओं में तथा जंतुओं में तंत्रिका कोशिका तथा जनन कोशिका (Germ cell) को छोड़ कर अन्य सभी शारीरिक कोशिकाओं (Somatic Cells) में होता है।

समसूत्री कोशिका विभाजन को समरूप या समीकरणीय कोशिका विभाजन (Equational Division) भी कहते हैं क्योकि इससे बनी पुत्री कोशिकाओं  में क्रोमोजोम की संख्या मातृ कोशिका के बराबर होती है।

माइटोसिस का महत्व (Importance of Mitosis Division):-

(i) माइटोसिस के फलस्वरूप अंगो का विकास होता है।

(ii) इस विभाजन के फलस्वरूप टूटी- फूटी कोशिकाओं एवं उत्तकों की मरम्मत होती है।

(iii) इस विभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न सन्तति कोशिकाओं में गुणसूत्र की संख्या समान होती है।

(iv) इस विभाजन से घाव भरते हैं ।

(v) RNA तथा DNA का संतुलन बना रहता है।

(vi) एक कोशिकीय जीवों में इस विभाजन के फलस्वरूप उनकी संख्या में वृद्धि होती है।

समसूत्री कोशिका विभाजन की विभिन्न अवस्थाएं ( Different phases of Mitosis Division) :-

समसूत्री विभाजन निम्न चार अवस्थाओं में पूरी होती है:- 

1. प्रथमावस्था या अद्यावस्था या प्रोफेज (Prophase):- यह माइटोसिस की प्रथम अवस्था है। इसमे निम्न परिवर्तन देखे जाते है:-

(i) केन्द्रक के निर्जलीकरण (Dehydration) से क्रोमैटिन धागे क्रोमोजोम का निर्माण करते हैं ।

(ii) प्रत्येक क्रोमोजोम दो क्रोमैटिड का निर्माण करते हैं जो सेंट्रोमियर पर आपस में जुड़े रहते हैं ।

(iii) क्रोमोसोम के ऊपर क्रोमोमियर नामक छोटे - छोटे कण दिखाई देने लगते हैं ।

(iv) केन्द्रिका (Nucleolus) तथा केन्द्रक झिल्लि धीरे - धीरे लुप्त हो जाती है।

(v) कोशिका के सेंट्रोजोम के दोनों सेंट्रिओल तारा रश्मियाँ (Astral rays) उत्पन्न करतेहैं ।

(vi) दोनों सेन्ट्रिओल विपरित ध्रुवों की ओर गति करने लगते हैं ।

2. मध्यावस्था या मेटाफेज (Metaphase):- यह दूसरी अवस्था है। इसमे निम्न बदलाव देखे जाते है-

(i) दोनों ध्रुवों से निकलने वाली तारा रश्मियाँ विस्तृत हो कर तर्कु तंतु (Spindle Fibre) का निर्माण करती हैं ।

(ii) क्रोमोजोम स्पिंडल के मध्यरेखीय क्षेत्र में की ओर गति करते हैं और कोशिका के मध्य में आ कर एक निश्चित क्रम में सज जाते हैं । (iii) क्रोमोजोम स्पष्ट दिखाई देते हैं, जिससे उन्हें आसानी से गिना जा सकता है।

3. पश्चावस्था या एनाफेज (Anaphase):- यह तीसरी अवस्था है। इसमे क्रोमोजोम्स के क्रोमैटिड के जोड़े अलग हो जाते हैं। इसमे निम्न परिवर्तन देखे जाते हैं:-

(i) सेन्ट्रोमियर दो भागों में बंट जाता है और एक- एक क्रोमैटिड के साथ एक दूसरे से दूर हटने लगता है।

(ii) दोनों क्रोमैटिड्स विपरीत ध्रुवों की ओर गति करने लगते हैं, जिसे एनाफेजिक गति (Anaphasic movement) कहते है।

(iii) प्रत्येक क्रोमैटिड्स एक -एक क्रोमोजोम में बदल जाते हैं ।

(iv) स्पिंडल फाइबर आपस में संयुक्त हो कर इंटरजोनल फाइबर या स्टेम बॉडी का निर्माण करते हैं ।  

(v) इस अवस्था के अंत में स्पिंडल का विपरीत ध्रुवों पर पहुँच जाने के कारण इनके कुंडलित भाग खुल जाते हैं और इनकी लम्बाई अधिक हो जाती है।

4. अंत्यावस्था या टेलोफेज (Telophase):- यह अंतिम अवस्था है जिसमें सन्तति कोशिका का निर्माण हो जाता है। इसमे निम्न परिवर्तन देखे जाते हैं:- 

(i) स्पिंडल के दोनों ध्रुवों पर समान क्रोमोजोम उपस्थित रहते हैं ।

(ii) प्रत्येक ध्रुवों पर पुनः केन्द्रक कला बन जाती है।

(iii) केन्द्रिका का पुनर्गठन हो जाता है।

(iv) स्पिंडल फाइबर समाप्त हो जाता है।

(v) जल शोषण कर केन्द्रक पूर्ण आकर धारण कर लेता है और इस प्रकार एक मातृ कोशिका से दो पुत्री कोशिका का जन्म होता है।

(C) अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis Division)

            कोशिका विभाजन की वह विधि जिसमे एक मातृ कोशिका से चार पुत्री कोशिकाओं का जन्म होता है जिनमे क्रोमोजोम की संख्या मातृ कोशिका से आधी होती है, उसे मियोसिस विभाजन कहते हैं ।

    इस प्रकार का विभाजन जनन कोशिकाओं (Germ Cells) में होता है।

    मियोसिस को न्यूनीकरण विभाजन (Reductional Division) भी कहते हैं क्योंकि इसके फलस्वरूप उत्पन्न पुत्री कोशिकाओं में क्रोमोजोम की संख्या मातृ कोशिका में उपस्थित क्रोमोजोम की संख्या की आधी होती है।

अर्द्धसुत्री कोशिका  विभाजन का महत्व (Importance of Meiosis) :-

(i) यह विभाजन आनुवंशिकता का सेतु (Bridge of heredity) कहलाता है।

(ii) लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवधारियों में इस विभाजन द्वारा क्रोमोजोम की संख्या स्थिर बनी रहती है।

(iii) इस विभाजन के फलस्वरूप युग्मन (Gamete) का निर्माण होता है, अतः यह लैंगिक प्रजनन के लिए आवश्यक है।

(iv) इस विभाजन से क्रोसिंग ओवर की क्रिया होती है जिससे जीनों का आदान-प्रदान होता है और जीवों में नए लक्षण उत्पन्न होते हैं ।

(v) इस विभाजन से माता-पिता और संतान में विभिन्नता उत्पन्न होती है जो क्रम विकास के लिए आवश्यक है।

(vi) मियोसिस निषेचन (Fertilization) की क्रिया का पूरक है।

कोशिका चक्र (CellCycle) :- कोशिका वृद्धि और कोशिका विभाजन के समय होने वाले सभी परिवर्तनों को सम्मिलित रूप से कोशिका चक्र कहते हैं ।

कोशिका चक्र की दो अवस्थाएँ है :-

(A) इंटर फेज (Interphase):- यह कोशिका विभाजन प्रारंभ होने से पहले की अवस्था है। इस अवस्था के दौरान कोशिका के अन्दर अनेक पदार्थों का संश्लेषण होता है। यह टेलोफेज और प्रोफेज के मध्य की अवस्था है। इसे तीन भागों में बांटा गया है:-

(i) G1-Phase: - यह कोशिका विभाजन समाप्त होने के तुरंत बाद की अवस्था है। इस अवस्था में प्रोटीन और RNA का संश्लेषण होता है।

(ii) S- Phase या Synthetic Phase :- इस अवस्था में प्युरिन तथा पाइरिमिडीन से DNA का संश्लेषण होता है।

(iii) G2-Phase: - इस अवस्था में प्रोटीन तथा RNA का संश्लेषण होता है किन्तु DNA का संश्लेषण नहीं होता है।

(B). M-Phase या Mitotic Phase: - कोशिका चक्र की इस अवस्था में केन्द्रक तथा साइटोप्लाज्म का विभाजन होता है और एक कोशिका से दो समरूप पुत्री कोशिकाओं का जन्म होता है।

कोशिका चक्र के निम्नलिखित महत्व है:-

1. यह कोशिका के विकास एवं कोशिका विभाजन की सम्पूर्ण दशा है 2. जीवों के शारीरिक विकास एवं प्रजनन के लिए कोशिका चक्र आवश्यक हैं । 

(DNA and RNA)

DNA: - DNA का पूरा नाम Deoxyribo nucleic acid है। यह सजीवों का मुख्य आनुवांशिक पदार्थ है। प्रत्येक DNA फास्फोरिक अम्ल के एक अणु, एक पेन्टोज शर्करा तथा नाइट्रोजन युक्त क्षार (Base) प्यूरीन और पाइरिमीडीन से निर्मित होता है। DNA में उपस्थित प्यूरीन बेस एडिनिन (Adenine) तथा गुआनिन (Guanine) है तथा इसमे उपस्थित पाइरिमिडीन भस्म साइटोसिन (Cytosine) और थायमिन (Thymine) है। DNA एक दोहरी हेलिकल (Double Helix) रचना है। DNA के न्युक्लियोटाइड आपस में मिल कर जीन की रचना करते हैं।

DNA का कार्य (Functions of DNA):-

(i) यह आनुवांशिक सूचना के वाहक के रूप में कार्य करता है।

(ii) यह RNA का संश्लेषक है।

(iii) DNA प्रोटीन के संश्लेषण में भी सहायक है।

RNA: - RNA का पूरा नाम Ribonucleic Acid या Ribose Nucleic Acid है। यह केन्द्रक और कोशिका द्रव दोंनों में पाया जाता है। यह एक सूत्री (Single Helix) रचना है। इसका निर्माण राईबोज शर्करा, फास्फेट, एडीनिन, गुआनिन, साइटोसिन तथा युरासिल (Uracil) से होता है। RNA का संश्लेषण DNA द्वारा होता है।

RNA का कार्य:-

(i) यह सन्देश वाहक का कार्य करता है।

(ii) यह प्रोटीन के संश्लेषण में सहायक है।

माइटोसिस और मियोसिस में अंतर :-

माइटोसिस

मियोसिस

(i) यह क्रिया शारीरिक कोशिका में होती है।

(ii) इस क्रिया के फलस्वरूप दो पुत्री कोशिकाओं का जन्म होता है।

(iii) इसमे बनी पुत्री कोशिका में क्रोमोजोम की संख्या मातृ कोशिका के सामान होती है

(iv) इसमे केन्द्रक एक बार विभाजित होता है।

(i) यह क्रिया जनन कोशिका में होती है।

(ii) इस क्रिया के फलस्वरूप चार पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है।

(iii) इसमें बनीं पुत्री कोशिकाओं में क्रोमोजोम की संख्या मातृ कोशिका से आधी होती है।

(iv) इसमे केन्द्रक दो बार विभाजित होता है।

DNA तथा RNA में अंतर:-

DNA

RNA

(i) यह दोहरी हेलिकल रचना है।

(ii) इसमे डीआक्सी राइबोज शर्करा पाया जाता है।

(iii) यह आनुवंशिक सूचनाओं का वाहक है।

(iv) यह केन्द्रक में पाया जाता है।

(i) यह एक single हेलिकल रचना है।

(ii) इसमे राइबोज शर्करा पाया जाता है।

(iii) यह सन्देश वाहक का कार्य करता है।

(iv) यह केन्द्रक और साइटोप्लाज्म दोनों में पाया जाता है।

पादप एवं जन्तुओ के साइटोकाइनेसिस में अंतर :-

पादप साइटोकाइनेसिस

जन्तु साइटोकाइनेसिस

(i) पौधों में  यह क्रिया कोशिक के मध्य सेल प्लेट बनने से होती है।

(ii) यह क्रिया  अन्दर से बाहर की ओर होती है।

(iii) इसमे कोशिका भित्ति का निर्माण सेल्युलोज द्वारा होता है।

(i) जंतुओं में यह क्रिया कोशिका झिल्ली के संकुचन से होती है।

(ii) यह क्रिया बाहर से अन्दर की ओर होती है।

(iii) इसमे कोशिका झिल्ली का निर्माण प्रोटीन और लिपिड द्वारा होता है।

असुत्री और समसूत्री कोशिका विभाजन में अंतर :-

असुत्री कोशिका विभाजन

समसूत्री कोशिका विभाजन

(i) यह कोशिका विभाजन की सबसे सरल विधि है।

(ii) इस कोशिका विभाजन में कोई विशेष अवस्था नहीं होती है।

(iii) यह विभाजन एककोशिकीय जीवधारियों में होता है।

(i) यह कोशिका विभाजन की जटिल विधि है।

(ii) इसकी चार मुख्य अवस्थाएँ होती हैं ।

(iii) यह विभाजन उच्च श्रेणी के जीवों में होता है।

जन्तु और पादप समसूत्री कोशिका विभाजन में अंतर :-

जन्तु माइटोसिस कोशिका विभाजन

पादप माइटोसिस कोशिका विभाजन

(i) सेंट्रिओल उपस्थित होता है।

(ii) साइटोकाइनेसिस सेल प्लेट बनने से होती है।

(iii) प्रायः शरीर की सभी कोशिकाओं मेन होता है।

(i) सेंट्रिओल उपस्थित नहीं होता है।

(ii) साइटोकाइनेसिस कोशिका झिल्ली के संकुचन से होती है।

(iii) सिर्फ प्रविभाजी ऊत्तकों की कोशिकाओं में होता है।

यूक्रोमैटीन तथा हेट्रोक्रोमैटीन मे अंतर:-

यूक्रोमैटीन

हेट्रोक्रोमैटीन

(i) युक्रोमैटीन में DNA ढिली-ढाली अवस्था में गूथी रहती है।

(ii) क्रोमैटीन प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक दोनों प्रकार की कोशिकाओ में उपस्थित रहता हैं।    

(iii) यह अधिक सक्रिय होता हैं।

(i) हेट्रोक्रोमैटीन में DNA पूरी तरह से सघन अवस्था में गूथी रहती हैं।

(ii) हेट्रोक्रोमैटीन केवल यूकैरियोटिक किशिकाओ में पाया जाता हैं ।

(iii) यह  अधिक सक्रिय नहीं होता है।

क्रोमोसोम और क्रोमैटिड में दो अंतर: -

क्रोमोसोम

क्रोमैटिड

(i) क्रोमोजोम दो क्रोमैटिड्स से गठित होता है।

(ii) यह आनुवांशिक लक्षणों का वाहक है।

(iii) दो क्रोमोजोम एक दूसरे के बिल्कुल समान नहीं हो सकते।

(i) यह खुले हुए DNA से गठित होता है।

(ii) यह कोशिका विभाजन में सहायक है।

(iii) सिस्टर क्रोमैटिड एक दूसरे के बिल्कुल समान होते हैं।

प्रोफेज तथा टीलोफेज की विपरीत घटनाएँ :-

प्रोफेज

टीलोफेज

(i) क्रोमैटिन धागे क्रोमोजोम में बदल जाते है ।

(ii) केन्द्रक का निर्जलीकरण होता है ।

(iii) केन्द्रक झिल्ली धीरे-धीरे लुप्त हो जाती हैं ।

(i) क्रोमोजोम क्रोमैटिन धागे में बदल जाते हैं हैं।

(ii) केन्द्रक का पुर्नगठन होता है ।

(iii) केन्द्रक झिल्ली धीरे-धीरे प्रकट हो जाती हैं

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1 अंक के लिए : (Short and MCQ)

1. माइटोसिस कोशिका विभाजन की किस दशा में सिस्टर क्रोमैटिड एक दूसरे से अलग हो जाते हैं? [M.P. 2017]

Ans: ऐनाफेज (Anaphase)

2. एडेनिन एक _________ प्रकार का नाइट्रोजन युक्त  क्षार है। [M.P. 2017]

Ans: प्यूरिन ।

3. पादप साइटोकाइनेसिस की विधि में ___________ का निर्माण होता है। [M.P. 2017]

Ans: सेल प्लेट ।

4. प्रोफेज : न्यूक्लियर मेम्ब्रेन तथा न्यूक्लिओलस का लुप्त होना : : _________ : न्यूक्लियर मेम्ब्रेन तथा न्यूक्लिओलस का प्रकट होना ।

Ans: टेलोफेज ।

5. मानव शरीर की शारीरिक कोशिकाओं में क्रोमोसोम की संख्या कितनी है?

Ans: मानव शरीर की शारीरक कोशिकाओ में क्रोमोजोम 23 जोड़ी या 46 संख्या होती हैं ।

6. कौन सा नाइट्रोजन युक्त बेस DNA में उपस्थित रहता है किन्तु RNA में नहीं? [M.P. 2014]

Ans: थाइमिन (thymine).

7. माइटोसिस की किस दशा में क्रोमोजोम को गिना जा सकता है? [M.P. 2016]

Ans: मेटाफेज(Metaphase).

8. समसूत्री कोशिका विभाजन की किस दशा में दो सिस्टर क्रोमैटिड अलग हो जाते हैं? [M.P. 2016]

Ans: एनाफेज(Anaphase).

9. यदि जन्तु कोशिका विभाजन में साइटोकाइनेसिस न हुआ तो क्या होगा? [M.P. 2016]

Ans: यदि साइटोकाइनेसिस की क्रिया न हो तो एक ही कोशिका में दो केंद्रक बनकर रह जाएगें और कोशिका विभाजन की क्रिया पूर्ण नहीं हो पायेगी।

10. किस प्रकार का कोशिका विभाजन क्रमशः उन्नत पौधों की जड़ों के शीर्ष कोशिकाओं तथा पराग की मातृ कोशिका में होता है? [M.P. 2016]

Ans: जड़ो में माइटोसिस और पराग में मियोसिस विभाजन होता है।

11. पादप शरीर के बढ्ने वाले अंगों में किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? किसी पौधे के पत्ते में कोशिकाओं में 2n=24 क्रोमोसोम है, तो कितने क्रोमोसोम क्रमशः उसके फूल की पंखुड़ी, तने की कोशिका, अंडाशय, भ्रूण, इंडोस्पर्म तथा पराग कोशिका में उसी पौधे में होंगे?

Ans: पादप शरीर के बढ़ने वाले अंगो में समसुत्री (mitosis)विभाजन होता हैं।

फूलो की पंखुड़ी में (2n) = 24

पराग कोशिका में (n)=12

तने की कोशिका में (2n) = 24

अंडाशय में (n)=12

भ्रूण में (2n) = 24

इंडोस्पर्म में (3n) = 36 क्रोमोजोम होंगे।

12. समसूत्री विभाजन की किस अवस्था में केंद्रक झिल्ली पुनः दिखाई पड़ता है? [M.P. 2015]

Ans: टेलोफेज (Telophase).

13. यूकैरियोटिक क्रोमोसोम की रचना हुई है DNA, RNA और ____________से। [M.P. 2014]

Ans: प्रोटीन से .

14. पुरुष तथा स्त्रियॉं के शरीर में कौन-कौन सा सेक्स क्रोमोसोम पाया जाता है? [M.P. 2015]

Ans: पुरुष में XY तथा स्त्रियो में XX लिंग क्रोमोजोम होता हैं.

19. पादप शरीर में कौन सी कोशिका अर्द्धसूत्री पद्धति से विभाजित होती है? [M.P. 2014]

Ans: पराग कोशिका.

20. माइटोसिस विभाजन की किस अवस्था में क्रोमोसोम विषुवत रेखा की धुरी पर इकट्ठा हो जाते हैं? [M.P. 2014]

Ans: मेटाफेज (Metaphase).

21. माइटोसिस कोशिका विभाजन की किस अवस्था में न्यूक्लिओलस पुनः उत्पन्न हो जाते हैं? [M.P. 2014]

Ans: माइटोसिस कोशिका विभाजन की टेलोफेज अवस्था में न्यूक्लिओलस पुनः उत्पन्न होता हैं ।

22. DNA अणु में गुआनीन का अनुपूरक क्षार जोड़ी क्या है? [M.P. 2013]

Ans: साइटोसीन।

23. किस प्रकार के कोशिका विभाजन में स्पिनडल का गठन नहीं होता है? [M.P. 2013]

Ans: असूत्री विभाजन (Amitosis)

25. कोशिका चक्र में विभाजन दशा के ठीक पहले की दशा क्या कहलाती है? [M.P. 2013]

Ans: इंटरफेज ।

26. किस यूकैरियोटिक की सहायता से क्रोमोसोम स्पिन्डल फाइबर से संयुक्त होते हैं? [M.P. 2012]

Ans: काइनेटोकोर ।

27. मानव शुक्र में कितने औटोसोम होते हैं? मिओसिस कोशिका विभाजन कहाँ होता है? [M.P. 2012]

Ans: मानव शुक्र में सिर्फ 22 औटोसोम होता हैं। मिओसिस कोशिका विभाजन जनन कोशिकाओ में होता हैं ।

28. किस विभाजन को प्रत्यक्ष विभाजन कहते हैं?

Ans: असूत्री विभाजन को।

2, 3 एवं 5 अंकों के लिए:-

1. कोशिका चक्र के दो महत्व लिखिए। [M.P. 2017]

2. क्रोमोजोम, DNA तथा जीन के अन्तःसम्बन्धों का वर्णन करो। यूक्रोमैटिन तथा हेट्रोक्रोमैटिन मे दो अंतर लिखो। [M.P. 2017]

3. अर्द्धसूत्री विभाजन को ह्रास विभाजन क्यों कहा जाता है?

4. अर्द्धसूत्री विभाजन के दो महत्व का उल्लेख करो।  [M.P. 2016]

5. अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन का एक महत्व बताइए। [M.P. 2015]

6. कोशिका चक्र क्या है?  इंटरफेज के दो चरणों का नाम लिखो।  [M.P. 2015]

7. माइटोसिस में प्रोफेज और टीलोफेज में घटित तीन विपरीत घटनाओं का उल्लेख करो। [M.P. 2014]

8. क्रोमैटिड्स और सेंट्रोमीयर की परिभाषा लिखो।

9. मिओसिस को अर्द्धसूत्री विभाजन क्यों कहते हैं? मनुष्य के शरीर में क्रोमोसोम किस प्रकार लिंग निर्धारण में भाग लेता है?

10. DNA और RNA में किन्हीं दो अंतर को लिखो। [M.P. 2013] [M.P. 2017]

11. पादप और प्राणी साइटोकाइनेसिस पद्धति में दो अंतर लिखो। कोशिका चक्र की ‘S’ दशा का महत्वपूर्ण लक्षण क्या है? [M.P. 2013]

12. ऐसे जीव का उदाहरण दो जिसमे असूत्री कोशिका विभजन होता है? पादप और प्राणी कोशिकाओं में असूत्री विभाजन में दो अंतर स्पष्ट कीजिए। कोशिका चक्र की विभिन्न अवस्थाएँ क्या है? [M.P. 2013]

13. प्राणी कोशिका में समसुत्री विभाजन की मेटाफेज और कोशिका द्रव्य विभाजन का एक-एक चित्रा बनाओ। पहले चित्र में क्रोमैटिड, मेटाफेज प्लेट, स्पिनडल फाइबर और सेंट्रिओल को नामांकित करो। दूसरे में पुत्री न्यूक्लियस और मध्य फ़रो को चिन्हित करो। [M.P. 2013]

14. DNA और RNA मे एक रचनात्मक और एक क्रियात्मक अंतर लिखो। [M.P. 2012]

15. क्रोमोसोम और क्रोमैटिड में दो अंतर बताइए। अर्द्धसूत्री विभाजन को क्यों ह्रासकरी विभाजन कहा जाता है? कोशिका-द्रव्य विभाजन क्या है? [M.P. 2013]

16. प्राणी साइटोकाइनेसिस का संक्षेप में वर्णन कीजिए।  [M.P. 2012]

17. एक वनस्पति या एक प्राणी कोशिका के माइटोसिस कोशिका विभाजन की मेटाफेज अवस्था का स्वच्छ चित्र अंकन करके निम्नलिखित अंशों को चिन्हित कीजिए : (a) क्रोमोजोम (b) स्पीण्डल तन्तु (c) ध्रुव क्षेत्र (d) सेंट्रोमीयर  [M.P. 2017]

18. जन्तु कोशिका में समसुत्री विभाजन के केंद्रक विभाजन के द्वितीय अवस्था एवं तृतीय अवस्था का एक-एक स्पष्ट चित्र अंकन कीजिए एवं निम्नलिखित अंशों को चिन्हित कीजिए : (a) क्रोमोजोम (b) अविच्छिन्न तन्तु (c) सेंट्रोमीयर  [M.P. 2015]

19. प्राणी कोशिका में समसुत्री विभाजन की मेटाफेज अवस्था और कोशिका द्रव विभाजन का एक-एक चित्र बनाओ। पहले चित्र में क्रोमैटिड, मेटफेज प्लेट, स्पीण्डल फाइबर और सेंट्रिओल को नामांकित कीजिए। दूसरे चित्र में पुत्री न्यूक्लियस और मध्य फ़रो को चिन्हित कीजिए। [M.P. 2013]

20. साइटोकाइनेसिस क्या है? पादप और प्राणी कोशिका की साइटोकाइनेसिस पद्धति में दो अंतर लिखिए।  [M.P. 2015]

21. असूत्री विभाजन क्या है? समसूत्री विभाजन की प्रोफेज एवं टेलोफेज अवस्थाओं में कौन-कौन सी घटनाएँ घटित होती हैं? [M.P. 2015]

22. जन्तु कोशिका में समसुतरी विभाजन के केंद्रक विभाजन के द्वितीय अवस्था एवं तृतीय अवस्था का एक-एक स्पष्ट चित्रा अंकन कीजिए एवं 3-3 भागों का नामांकन कीजिए।  [M.P. 2015]

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