प्रश्न: ‘मेरे राम का मुकुट भीग रहा है’ निबंध के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। 'Mere Ram ka mukut bheeg raha hai' Nibandh Ke uddeshya par prakash daliye | मेरे नाम का मुकुट भीग रहा है | Mere Ram ka mukut bheeg raha hai |
उत्तर: विद्यानिवास मिश्र द्वारा लिखित ‘मेरे राम का मुकुट भीग रहा है’ एक बहुचर्चित और उद्देश्य पर निबंध है। इस निबंध में लेखक एक ओर जहां राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास कथा का आधार लेते हैं। वहीं दूसरी ओर भारतीय संस्कृति में व्याप्त लोक रीति की और हमारा ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। लेखक विद्यानिवास मिश्र ने बड़ी ही सफलता से नई और पुरानी पीढ़ी के बीच बढ़ती हुई दूरी को अंकित किया है।
‘मेरे राम का मुकुट भीग रहा है’ कह कर लेखक ने पुरानी पीढ़ी की अपनी संतानों के लिए चिंता को उजागर किया है। वह बताना चाहते हैं कि पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी के लिए चिंतित है। लेकिन नई पीढ़ी को इस बात की कोई परवाह नहीं है। एक अभिभावक का मन किस प्रकार अपने बच्चों के लिए आशंकित रहता है, यह बच्चे नहीं जानते। राम का मुकुट, लक्ष्मण का दुपट्टा और सीता का सिंदूर गिरने की आशंका उस ममता और पीड़ा का प्रतीक है जो नई पीढ़ी नहीं समझ पाती और हमेशा बेपरवाह बनी रहती है। लेखक मिश्र जी यह भी बताना चाहते हैं कि आज पूरे विश्व में कौशल्या जैसी कितनी माताएं हैं जो अपने राम, लक्ष्मण और सीता की कुशलता के लिए चिंतित हैं। लेकिन कम ही राम, लक्ष्मण कौशल्या की उस ममता की पीड़ा को समझ पाते हैं। लेखक ने स्पष्ट किया है कि माता पिता अपनी संतान के संभावित संकट से ही कांप उठते हैं। अतः नई पीढ़ी को यह समझना होगा और कुछ भी ऐसा करने से बचना होगा जिससे उनके माता-पिता को दु:ख या कष्ट हो।
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मेरे राम का मुकुट भीग रहा है (All Questions)
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