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अकाल और उसके बाद कविता का सारांश / मूल भाव | Akal aur uske baad kavita ka saransh | Nagarjun | नागार्जुन | WBCHSE Class 11 Hindi Notes

अकाल और उसके बाद कविता में व्यक्त कवि के विचारों को अपने शब्दों में लिखिएAkal aur uske Baad kavita me vyakt kavi ke vichar| Akal or uske baad kavita ka moolbhaw | Akaal aur uske Baad| अकाल और उसके बाद : नागार्जुन| Nagarjun | Aakal or uske baad | Hindi Class 11 notes | WBCHSE 


Akal or uske baad kavita ka mool bhaw

उत्तर: बाबा नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था। वे मूल रूप से जनवादी विचारधारा के कवि थे अकाल और उसके बाद नामक कविता उनके काव्य संग्रह सतरंगे पंखों वाली में संग्रहित है। इस कविता में नागार्जुन जी ने अकाल के समय की दशा का चित्रण है। कवि ने बताया है कि जब अकाल पड़ता है तो केवल घर के मनुष्य ही नहीं बल्कि घर पर निर्भर रहने वाले अन्य जीव भी प्रभावित होते हैं।

        कविवर नागार्जुन जी लिखते हैं कि अकाल पड़ने पर अन्न और जल की इतनी कमी हो जाती है कि भुखमरी का माहौल शुरू हो जाता है। अकाल के समय अनाज के अभाव में ना तो घर की चक्की चलती है और ना ही चूल्हा जलता है। घर पर निर्भर रहने वाली कुतिया भी भूखी रह जाती है। घर की दीवारों पर भूख से तड़पती छिपकलियों की भी गस्त लगती है। अकाल की स्थिति में घर में रहने वाले चूहे भी भूख से बेहाल हो जाते हैं। अकाल का मार्मिक चित्र प्रस्तुत करते हुए कवि नागार्जुन ने लिखा है-

“कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास।
कई दिनों तक कानी कुतिया, सोई उनके पास॥"

            कवि अकाल के बाद की स्थिति का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि बहुत दिनों के बाद जब कहीं से घर में अन्न का दाना आता है तभी चूल्हे में आग जलती है। जलते हुए चूल्हे से धुआं निकल कर आंगन के ऊपर उठने लगता है। उस धुएँ को देख कर ही घर भर के सभी प्राणियों की आंखों में प्रसन्नता की चमक दिखने लगती है। कानी कुत्तिया, छिपकलियों और चूहे सभी प्रसन्न हो जाते हैं। घर के ऊपर बैठा हुआ कौवा भी प्रसन्नता से अपने पंख खुजलाने लगता है। कवि लिखते हैं-

“चमक उठी घर भर की आंखें कई दिनों के बाद।
कौए ने खुजलाई पाखें कई दिनों के बाद॥"

            इस प्रकार हम देखते हैं। कि आधुनिक हिंदी कवियों में नागार्जुन जी प्रगतिवादी एवं
जनवादी विचारधारा के कवि हैं, जिनकी कविता में जनता की पीड़ा एवं उनकी समस्याओं का चित्रण
हुआ है। वे आम जनता के सुख-दुख को समझने वाले कवि हैं।


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