‘बिगड़ैल बच्चे’ नामक कहानी के आधार पर लेखिका के उद्देश्य को निरूपित कीजिए। या, ‘बिगड़ैल बच्चे’ नामक कहानी में लेखिका क्या संदेश देना चाहती हैं? ‘Bigdail bachche’ naamak kahani ke adhaar par lekhika ke uddeshya ko niroopit kijie. ya, ‘Bigrail bachche’ namak kahani mein lekhika kya sandesh dena chahate hai? Bigrail Bacche | बिगड़ैल बच्चे | Hindi Class 11 notes | WBCHSE
उत्तर: मनीषा कुलश्रेष्ठ जी नई पीढ़ी की उल्लेखनीय कथाकारों में से एक हैं। इनकी रचना सामाजिक सरोकार को प्रदर्शित करती है। ‘बिगड़ैल बच्चे’ भी मनीषा कुलश्रेष्ठ की एक सामाजिक कहानी है। दो पीढ़ियों के बीच जो समय का अंतर है, वह उनकी विचारधाराओं को भी प्रभावित करता है। इस कहानी के माध्यम से लेखिका ने नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के विचारों को व्यक्त किया है। ऐसी अवधारणा है कि आज का युवा समाज नैतिक मूल्यों के नाम पर शून्य है। इनमें न समझदारी है और ना ही संस्कार। इनका सारा जोश मौज-मस्ती और फैशन के प्रति है। इनमें कुछ करने की न हिम्मत है न काबिलियत है और ना ही अक्ल, जबकि पहले की पीढ़ी में ऐसा नहीं था। लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपनी इस कहानी के माध्यम से इसी अवधारणा को गलत सिद्ध किया है। इस कहानी में लेखिका ने स्वतंत्र तरीके से जीवन व्यतीत करने वाले युवा पीढ़ी को इस रुप में प्रस्तुत किया है कि इनका रहन-सहन भले फैशन और जोश से भरपूर है किंतु उनका यही जोश जरुरत पड़ने पर बड़े सहज तरीके किसी भी नैतिक कर्म में जुड़ जाता है। दूसरों के प्रति उनकी सहानुभूति और संवेदनशीलता पुरानी पीढ़ी के मुकाबले अधिक है। वैसे तो हर पीढ़ी में अच्छाइया और बुराइयां रही है किंतु आम अवधारणा यह है कि नई पीढ़ी दिन पर दिन कुसंस्कारी होती जा रही है। दूसरी बात लेखिका इस कहानी के माध्यम से यह कहना चाहती है कि बच्चों को कठोर अनुशासन और अतिरिक्त सुरक्षित वातावरण में पालने के सभी परिणाम सकारात्मक नहीं होते। इससे उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। लेखिका ने अपनी पुत्री निशि का उदाहरण देते हुए बताया है कि अधिक अनुशासन की वजह से बच्चों का व्यक्तित्व दब जाता है। इस प्रकार इस कहानी के माध्यम से युवा पीढ़ी के बच्चों के प्रति कठोर अनुशासन की जो आम अवधारणा है उसे गलत साबित करने का प्रयास किया गया है और अपने इस उद्देश्य में लेखिका पूर्णतः सफल है।
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