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Download WBCHSE Class XII HINDI Notes | कुटज : डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी | PDF Download WB Board Class 12 Hindi Notes | KUTAJ |Class 12 HINDI Notes | PDF | WBCHSE

Are you looking for Hindi Notes for class XII of West Bengal Board? Here this is complete notes of an important chapter of HINDI. Download the notes of the chapter 'KUTAJ' by Hazari Prasad Dwivedi. It has been prepared to help you in your exam preparation. It has questions and answers of  1 Mark and 5 Marks. Download the PDF file attached. If you find this helpful please Share with your friends and don't forget to comment below
KUTAJ NOTES | WEST BENGAL BOARD CLASS XII NOTES | HINDI - FIRST LANGUAGE | कुटज : डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी 
             
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 Short Answer Type (Mark 1)

1. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने किसे शोभा निकेतन कहा है?
उत्तर:  पर्वतों को ।
2. कुटज क्या है?
उत्तर: कुटज एक पेड़ है, जो हिमालय के उपत्यकाओं पर उगता है।
3. हजारी प्रसाद द्विवेदी जी किस उपनाम से जाने जाते हैं?
उत्तर: मुकेश शास्त्री ।
4. हजारी प्रसाद जी किस काल के लेखक है?
उत्तर: आधुनिक काल।
5. शिवालिक कहां स्थित है?
उत्तर: शिवालिक हिमालय के पाद प्रदेश में फैली हुई श्रृंखला है।
6. नाम बड़ा क्यों है?
उत्तर: नाम बड़ा होता है क्योंकि नाम पर समाज की मुहर लगी हुई होती है।
7. द्विवेदी जी का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दुबे छपरा ग्राम में ।
8. लेखक के अनुसार शिवालिक क्या है?
उत्तर: शिव के जटा जुट का निचला हिस्सा।
9.इज्जत तो नसीब की बात है।“ - किसकी इज्जत की बात कही गई है?
उत्तर: अब्दुल रहीम खानखाना की ।
10. लेखक के अनुसार कुटज का पेड़ कैसा जान पड़ता है?
उत्तर: लेखक के अनुसार कुटज का पौधा बड़ा अजीब है, वह हमेशा मुस्कुराता हुआ जान पड़ता है।
 Descriptive Answer Type (Marks 5) 
1. कुटज निबंध की समीक्षा कीजिए।
उत्तर: कुटजहिंदी साहित्य के महान निबंधकार डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा रचित एक ललित निबंध है। यह प्रथम पुरुष में लिखा गया है। निबंध का विषय अति साधारण है किंतु इसमें लेखक के उच्च विचार प्रकट किए गए हैं। निबंध का प्रारंभ अति साधारण है किंतु आगे चलकर इसमें अनेक पौराणिक घटनाओं का उल्लेख है।
            कुटजशब्द की उत्पत्ति के विषय में लिखते समय लेखक सर्वप्रथम उसके नाम पर भी चिंतन करते हैं। उसके बाद उसके नाम की उत्पत्ति पर विचार करते है। इस संबंध में लेखक कुटहारिका, कुटकारिका, कुटिया, कुटीर आदि अनेक नामों पर विचार करता है। वह भाषा पर भी विचार करता है।
            कुटज का जीवन मानव के लिए अनुकरणीय हैं। गर्मी में भी फूलों से लदकर कुटज मानव को जीवन जीने की कला सिखाता है। सुख हो या दु:ख वह किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होता, बल्कि स्थिर भाव से रहकर जीवन की अजेयता का मंत्र प्रसारित करता है। मनुष्य को भी कुटज से कुछ शिक्षा लेनी चाहिए। जीवन में सुख और दुख का क्रम लगा ही रहता है। व्यक्ति को सुख-दुख की चिंता ना करते हुए सहज भाव से जीवन व्यतीत करना चाहिए। उसे परिस्थितियों के बस में नहाकर परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाना चाहिए।
             प्रस्तुत निबंध में हास्य और व्यंग्य भी है। मुहावरों के माध्यम से लेखक ने चाटुकारों पर व्यंग किया है, जो अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु आडंबर करते हैं तथा दूसरों को फसाने के लिए जाल बिछाते हैं। अपने लाभ के लिए दूसरों की खुशामद करते हैं और उसके सामने दांत निपोरते हैं।
             कुटज निबंध विवेचनात्मक शैली में लिखा गया है। इसकी भाषा खड़ी बोली हिंदी है, जिसमें संस्कृत के शब्दों का समावेश है। संस्कृत के तत्सम शब्दों की बहुलता के कारण इसकी भाषा कठिन हो गई है, जो सामान्य पाठकों के लिए बोधगम्य नहीं है।
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NOTE : There may be some typing mistakes in the notes. So please try to rectify them with the help of your teachers. Good Luck !

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